प्राचीन हिन्दू धर्मशास्त्रों में सांसारिक जीवन में स्त्री की बड़ी अहमियत बताई गई है। घर-गृहस्थी की बुनियाद भी स्त्री को माना गया है। घर के हर काम पुरुष के संग स्त्री के गठजोड़ से ही बिन रुकावटों के पूरे होते है। इस तरह हर गृहस्थ पुरुष के जीवन के सारे कामों में स्त्री की प्रधानता होती है।
इन बातों से यह भी साफ होता है कि अगर कोई स्त्री सुशील और बुद्धिमान हो तो गृहस्थी को कोई हानि नहीं होती, किंतु इसके उलट स्त्री का आचरण कई तरह से गृहस्थी व पुरुष के जीवन में दुःखों की वजह बन सकता है।
धर्म के साथ विज्ञान के नजरिए से भी गौर करें तो नजर आता है कि कुदरत या यूं कहें कि प्रकृति रूप ईश्वर ने स्त्री को प्रदान की जननी होने की विलक्षण शक्ति को संपूर्ण बनाने के लिए पुरुष को भी जनक के तौर पर भागीदार बनाया।
सृष्टि चक्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए या फिर सांसारिक जीवन को सुखद बनाने के मकसद से ही हिन्दू धर्मग्रंथों में कई प्रसंगों के जरिए स्त्री से जुड़ी ऐसी बातें भी उजागर हैं, जिसे कोई भी पुरुष जानकर स्त्री से बेहतर तालमेल के जरिए जीवन को सुखद व खुशहाल बना सकता है।
इसी कड़ी में जानिए हिन्दू धर्मग्रंथ भविष्यपुराण में उजागर स्त्रियों के वे लक्षण, जो किसी स्त्री के खासतौर पर बाहरी रंग-रूप व डील-डौल के जरिए आचरण व स्वभाव को भी उजागर कर देते है -भविष्यपुराण के प्रसंग के मुताबिक ब्रह्मदेव ने शिव पुत्र कार्तिकेय को, उनके ही द्वारा 'लक्षण ग्रंथ' में लिखी स्त्री-पुरुष के लक्षणों का स्मरण कराते हुए स्त्रियों से जुड़े ये लक्षण उजागर किए। जिनका सार है कि किसी भी कन्या या स्त्री के स्वभाव को उसके हाथ, पैर, अंगुली, नाखून, हस्त रेखा, जंघा, कमर, नाभि, पेट, घुटने, पीठ, भुजाएं, कान, जीभ, होंठ, दांत गाल, गला, आंखें, नाक, ललाट, सिर, बाल, बोल, रंग व भौंहे के जरिए उजागर लक्षणों को देखकर जाना जा सकता है।
अगली स्लाइड्स पर जानिए स्त्रियों से जुडी वे रोचक बातें, जिनसे पता चल सकता है कि कौन सी स्त्री मनचाहे सुख और कौन सी दुःख की वजह बनती है -जिस स्त्री के गले मे रेखा हो और आंखों का कुछ हिस्सा लाल या आंखों में लालिमा नजर आती है, वह स्त्री जिस घर में भी जाती है, घर-परिवार खूब पनपता व फलता-फूलता है।मीठे बोल बोलनेवाली, हर रोज स्नान करने वाली, कम खाना खाने वाली, कम सोने वाली और हर वक्त पवित्रता का ख्याल रखने वाली स्त्री देवीय गुणों वाली या देवता कहलाती है।
इन बातों से यह भी साफ होता है कि अगर कोई स्त्री सुशील और बुद्धिमान हो तो गृहस्थी को कोई हानि नहीं होती, किंतु इसके उलट स्त्री का आचरण कई तरह से गृहस्थी व पुरुष के जीवन में दुःखों की वजह बन सकता है।
धर्म के साथ विज्ञान के नजरिए से भी गौर करें तो नजर आता है कि कुदरत या यूं कहें कि प्रकृति रूप ईश्वर ने स्त्री को प्रदान की जननी होने की विलक्षण शक्ति को संपूर्ण बनाने के लिए पुरुष को भी जनक के तौर पर भागीदार बनाया।
सृष्टि चक्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए या फिर सांसारिक जीवन को सुखद बनाने के मकसद से ही हिन्दू धर्मग्रंथों में कई प्रसंगों के जरिए स्त्री से जुड़ी ऐसी बातें भी उजागर हैं, जिसे कोई भी पुरुष जानकर स्त्री से बेहतर तालमेल के जरिए जीवन को सुखद व खुशहाल बना सकता है।
इसी कड़ी में जानिए हिन्दू धर्मग्रंथ भविष्यपुराण में उजागर स्त्रियों के वे लक्षण, जो किसी स्त्री के खासतौर पर बाहरी रंग-रूप व डील-डौल के जरिए आचरण व स्वभाव को भी उजागर कर देते है -भविष्यपुराण के प्रसंग के मुताबिक ब्रह्मदेव ने शिव पुत्र कार्तिकेय को, उनके ही द्वारा 'लक्षण ग्रंथ' में लिखी स्त्री-पुरुष के लक्षणों का स्मरण कराते हुए स्त्रियों से जुड़े ये लक्षण उजागर किए। जिनका सार है कि किसी भी कन्या या स्त्री के स्वभाव को उसके हाथ, पैर, अंगुली, नाखून, हस्त रेखा, जंघा, कमर, नाभि, पेट, घुटने, पीठ, भुजाएं, कान, जीभ, होंठ, दांत गाल, गला, आंखें, नाक, ललाट, सिर, बाल, बोल, रंग व भौंहे के जरिए उजागर लक्षणों को देखकर जाना जा सकता है।
अगली स्लाइड्स पर जानिए स्त्रियों से जुडी वे रोचक बातें, जिनसे पता चल सकता है कि कौन सी स्त्री मनचाहे सुख और कौन सी दुःख की वजह बनती है -जिस स्त्री के गले मे रेखा हो और आंखों का कुछ हिस्सा लाल या आंखों में लालिमा नजर आती है, वह स्त्री जिस घर में भी जाती है, घर-परिवार खूब पनपता व फलता-फूलता है।मीठे बोल बोलनेवाली, हर रोज स्नान करने वाली, कम खाना खाने वाली, कम सोने वाली और हर वक्त पवित्रता का ख्याल रखने वाली स्त्री देवीय गुणों वाली या देवता कहलाती है।
जो स्त्री पवित्र, पतिव्रता, देवता, गुरु और ब्राह्मणों की सेवा करने वाली और भक्त होती है। वह मानुषी होती है।परिवारवालों, पति या इष्टजनों की कही गई भलाई की बातें न माननेवाली, अपने मन-मुताबिक जीवन गुजारने वाली स्त्री आसुरी प्रवृत्ति की होती है। इसी तरह पवित्रता, सदाचार न समझने के साथ सौंदर्यरहित व हमेशा गंदी रहने वाली स्त्री पिशाची प्रवृत्ति की मानी गई है।वाद्य यंत्रों जैसे वीणा, मृंदग, बंशी के स्वरों में रुचि रखने वाली (आधुनित संदर्भ में संगीत प्रेम), फूलों और सुगंधित इत्र का उपयोग करने का शौक रखने वाली स्त्री गान्धर्वी श्रेणी की होती है।
ज्यादा चंचल स्वभाव, चपल आंखों वाली, यहां-वहां नजर रखने वाली व लालच रखने वाली स्त्री वानरी श्रेणी की होती है।जिस स्त्री के बाएं हिस्से जैसे हाथ, छाती, कान के ऊपर या गले पर तिल या मस्सा होता है, उस स्त्री की पहली संतान पुत्र होती है। वहीं जिस स्त्री को मनचाहे सुख मिलते हैं, उसके पैर लाल रंग, ऐड़ी छोटी, अंगुलियां सुंदर व एक समान मिली हुई व आंखे लाल रंग की होती है।जो स्त्री सुगठित जंघाओं वाली, जिसके शरीर का बीच का हिस्सा वेदी के समान और बड़ी-बड़ी आंखों वाली होती है, वह रानी होती है। यानी उसे तो तमाम सुख मिलते ही हैं, साथ रहने वाले भी सुखी हो जाते हैं। वहीं जिस स्त्री के पैर बड़े-बड़े हों, हाथ छोटे व मोटे हो, रोम से भरे अंग हो, वह स्त्री दासी यानी वह सुखो से वंचित होती है और उसका जीवन संघर्ष से भरा होता है।जिस स्त्री के कान लंबे, नाक खूबसूरत और भौंहे धनुष के समान टेढ़ी होती है। वह जीवन में अपार सुखों को भोगती है। दुबली, सांवले रंग की मीठा बोलने वाली, शंख की तरह बिल्कुल साफ व चमकदार दांतो वाली, कोमल व चिकने अंगो वाली स्त्री को वैभव और ऐश्वर्य मिलता है।मेंढक की तरह पेट वाली एक ही पुत्र पैदा करती है और वह भी राजा बनता है। इसी तरह हंस की तरह कोमल स्वर वाली, शहद के समान आभा बिखरते रंग वाली स्त्री को धन व अन्न की कमी नहीं होती। यही नहीं ऐसी स्त्री 8 पुत्रों को जन्म देती है।चन्द्रमा के समान चेहरे वाली, हाथी की तरह मस्त होकर चलनेवाली, लाल रंग के नाखूनों वाली, शुभ लक्षणों को उजागर करते हाथ-पैरों वाली स्त्री विद्याधरी श्रेणी की मानी जाती है यानी वह मंगल करने वाली होती है। इसी तरह जिस स्त्री की चाल व गति राजहंस की तरह होती है, हिरण के समान आंखे व रंग होता है, दांत एक समान व सफेद होते हैं, ऐसी स्त्री उत्तम होती है।छुपकर गलत काम या पाप करने वाली, उसे छुपाने वाली, मंशा को दबाकर रखने वाली स्त्री मार्जार यानी बिल्ली के समान प्रवृत्ति वाली होती है।
इसी तरह कभी हंसनेवाली, कभी गुस्सा करने वाली तो कभी खुश रहनेवाली, कभी खेलने वाली और पुरुषों के बीच रहने वाली स्त्री गर्दभी श्रेणी की होती है।जिस स्त्री के पैर टेढ़-मेढ़े, चेहरा सुंदर न हो, ऊपरी होंठ पर बाल हो वह जल्द ही पति को मार देती है। यही नहीं ज्यादा खाने वाली, बोलने वाली, कटु बात करने वाली और पति को मारने वाली स्त्री राक्षसी प्रवृत्ति की होती है।जिस स्त्री के ललाट में त्रिशूल का निशान होता है, उसकी हजारों दासियां सेवा करती है यानी उसका जीवन खूब सुख-सुविधाओं से गुजरता है।
इसी तरह कभी हंसनेवाली, कभी गुस्सा करने वाली तो कभी खुश रहनेवाली, कभी खेलने वाली और पुरुषों के बीच रहने वाली स्त्री गर्दभी श्रेणी की होती है।जिस स्त्री के पैर टेढ़-मेढ़े, चेहरा सुंदर न हो, ऊपरी होंठ पर बाल हो वह जल्द ही पति को मार देती है। यही नहीं ज्यादा खाने वाली, बोलने वाली, कटु बात करने वाली और पति को मारने वाली स्त्री राक्षसी प्रवृत्ति की होती है।जिस स्त्री के ललाट में त्रिशूल का निशान होता है, उसकी हजारों दासियां सेवा करती है यानी उसका जीवन खूब सुख-सुविधाओं से गुजरता है।
Post A Comment: