भोपाल ।मौसम में ठंडक के बढऩे से एच1 एन1 वायरस क्रियाशील हो
जाता है। इस वायरस में मौसम के अनुकूल परिवर्तित होने की क्षमता होती है।
स्वाइन फ्लू वायु में संक्रमित कणों के कारण फैलता है।
यह बात कैरियर कॉलेज के सूक्ष्म विज्ञान तथा पैथोलॉजी विभाग द्वारा स्वाइन फ्लू पर आयोजित व्याख्यान माला में इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रिंसीपल डॉ. डी.डी. कुलकर्णी ने कही। उन्होंने स्वाइन फ्लू के बारे में कहा कि यह वायु में संक्रमित कणों से हमारे शरीर तक पहुंचता है।
इससे बचने के लिये जरूरी है कि पर्याप्त स्वच्छता रखी जाए, भरपूर पानी पिया जाए और रोग के लक्षण दिखते ही अपने डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज शुरू किया जाए। सर्दी खांसी, जुकाम, बुखार यदि 4-5 दिन से ज्यादा हो तो इसे साधारण न लेकर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
इस अवसर पर उपस्थित विद्यार्थियों के स्वाइन फ्लू से संबंधित सवालों के जवाब भी डॉ. कुलकर्णी ने दिये।
यह बात कैरियर कॉलेज के सूक्ष्म विज्ञान तथा पैथोलॉजी विभाग द्वारा स्वाइन फ्लू पर आयोजित व्याख्यान माला में इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रिंसीपल डॉ. डी.डी. कुलकर्णी ने कही। उन्होंने स्वाइन फ्लू के बारे में कहा कि यह वायु में संक्रमित कणों से हमारे शरीर तक पहुंचता है।
इससे बचने के लिये जरूरी है कि पर्याप्त स्वच्छता रखी जाए, भरपूर पानी पिया जाए और रोग के लक्षण दिखते ही अपने डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज शुरू किया जाए। सर्दी खांसी, जुकाम, बुखार यदि 4-5 दिन से ज्यादा हो तो इसे साधारण न लेकर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
इस अवसर पर उपस्थित विद्यार्थियों के स्वाइन फ्लू से संबंधित सवालों के जवाब भी डॉ. कुलकर्णी ने दिये।
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