नगर संवाददाता -!- सागर
मोतीनगर थाने के पीछे रहने वाली कक्षा ११वीं की छात्रा रीता श्रीवास ((१८)) ने स्कूल से लौटकर घर के अंदर फांसी लगा ली। सुसाइड के कारणों का पता नहीं चल पाया है। घटना शुक्रवार दोपहर की है। उनके पिता की मौत हो चुकी है। वे सिपाही थे। छात्रा अपनी मां व भाई के साथ में रहती थी। घटना के समय वे दोनों ही घर पर नहीं थे। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार रविशंकर स्कूल में पढऩे वाली रीता दोपहर करीब १२.३० बजे स्कूल से लौटकर आई थी। उस समय घर पर कोई नहीं था। ऊपर वाले कमरे में उसने दुपट्टे से फांसी लगा ली। इसी दौरान कुछ ब'चों ने रीता को फांसी पर लटका देख पड़ोस के लोगों को जानकारी दी। एफएसएल व पुलिस की टीम ने मौके का मुआयना कर शव पीएम के लिए भेजा। मोतीनगर थाना प्रभारी आरएस परिहार ने बताया कि मृतका के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। आत्महत्या के कारणों की जांच की जा रही है।
पुत्र को मिली थी अनुकंपा नियुक्ति : पुलिस के अनुसार रीता के पिता मुन्नालाल श्रीवास सिपाही थे। उनकी मौत के बाद पुत्र रूपेश को अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। वह अभी कोतवाली थाने में पदस्थ है। भाई-बहन में रूपेश, रीता से बड़ा है। वह बहन को पढ़ा लिखाकर किसी अ'छे परिवार में उसका रिश्ता तय करना चाहता था। इसी वजह से उसने खुद भी शादी नहीं की थी। रीता के अनायास इस कदम से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बेटी को खोकर मां अनीता व भाई दोनों के आंसू थम नहीं रहे थे।
मोतीनगर थाने के पीछे रहने वाली कक्षा ११वीं की छात्रा रीता श्रीवास ((१८)) ने स्कूल से लौटकर घर के अंदर फांसी लगा ली। सुसाइड के कारणों का पता नहीं चल पाया है। घटना शुक्रवार दोपहर की है। उनके पिता की मौत हो चुकी है। वे सिपाही थे। छात्रा अपनी मां व भाई के साथ में रहती थी। घटना के समय वे दोनों ही घर पर नहीं थे। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार रविशंकर स्कूल में पढऩे वाली रीता दोपहर करीब १२.३० बजे स्कूल से लौटकर आई थी। उस समय घर पर कोई नहीं था। ऊपर वाले कमरे में उसने दुपट्टे से फांसी लगा ली। इसी दौरान कुछ ब'चों ने रीता को फांसी पर लटका देख पड़ोस के लोगों को जानकारी दी। एफएसएल व पुलिस की टीम ने मौके का मुआयना कर शव पीएम के लिए भेजा। मोतीनगर थाना प्रभारी आरएस परिहार ने बताया कि मृतका के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। आत्महत्या के कारणों की जांच की जा रही है।
पुत्र को मिली थी अनुकंपा नियुक्ति : पुलिस के अनुसार रीता के पिता मुन्नालाल श्रीवास सिपाही थे। उनकी मौत के बाद पुत्र रूपेश को अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। वह अभी कोतवाली थाने में पदस्थ है। भाई-बहन में रूपेश, रीता से बड़ा है। वह बहन को पढ़ा लिखाकर किसी अ'छे परिवार में उसका रिश्ता तय करना चाहता था। इसी वजह से उसने खुद भी शादी नहीं की थी। रीता के अनायास इस कदम से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बेटी को खोकर मां अनीता व भाई दोनों के आंसू थम नहीं रहे थे।
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