
सरकार का मानना है कि बीमा में विदेशी निवेश की बेहद सख्त जरूरत है। बीमा सेक्टर पर नजर रखने वाली संस्था आईआरडीए का मानना है कि अगले 5 साल में बीमा कंपनियों को 61 हजार 200 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का बीमा हो सके। अभी देश में हजार लोगों की आबादी पर 5 लोगों का बीमा है। जो विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है। संसदीय कमेटी से भी आईआरडीए ने यही कहा था कि बीते 10 साल में बीमा कंपनियों ने 21 हजार करोड़ रुपये लगाए लेकिन अब तक कोई डिविडेंड नहीं मिला और ये उम्मीद करना बेमानी है कि वो और पैसे लगाएंगी। 42 में से 13 बीमा कंपनिया बैंकों की है जो पहले ही दबाव में हैं।
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