नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2008 को
हरी झडी दिखा दी। बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की मौजूदा सीमा 26 फीसद
से बढ़कर 49 फीसद होगी। यह कदम बीमा कंपनियों के लिए राहत लेकर आ सकता है।
दरअसल, बीमा कंपनियों को अगले पांच साल में 61,200 करोड़ रुपए की जरूरत है।
एफडीआई की सीमा बढ़ने से बीमा क्षेत्र में 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की
रकम आएगी। ऐसे में बीमा कंपनियों को अपने पैर पसारने और खुद को मजबूत करने
का मौका मिलेगा।
सरकार का मानना है कि बीमा में विदेशी निवेश की बेहद सख्त जरूरत है। बीमा सेक्टर पर नजर रखने वाली संस्था आईआरडीए का मानना है कि अगले 5 साल में बीमा कंपनियों को 61 हजार 200 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का बीमा हो सके। अभी देश में हजार लोगों की आबादी पर 5 लोगों का बीमा है। जो विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है। संसदीय कमेटी से भी आईआरडीए ने यही कहा था कि बीते 10 साल में बीमा कंपनियों ने 21 हजार करोड़ रुपये लगाए लेकिन अब तक कोई डिविडेंड नहीं मिला और ये उम्मीद करना बेमानी है कि वो और पैसे लगाएंगी। 42 में से 13 बीमा कंपनिया बैंकों की है जो पहले ही दबाव में हैं।
सरकार का मानना है कि बीमा में विदेशी निवेश की बेहद सख्त जरूरत है। बीमा सेक्टर पर नजर रखने वाली संस्था आईआरडीए का मानना है कि अगले 5 साल में बीमा कंपनियों को 61 हजार 200 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का बीमा हो सके। अभी देश में हजार लोगों की आबादी पर 5 लोगों का बीमा है। जो विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है। संसदीय कमेटी से भी आईआरडीए ने यही कहा था कि बीते 10 साल में बीमा कंपनियों ने 21 हजार करोड़ रुपये लगाए लेकिन अब तक कोई डिविडेंड नहीं मिला और ये उम्मीद करना बेमानी है कि वो और पैसे लगाएंगी। 42 में से 13 बीमा कंपनिया बैंकों की है जो पहले ही दबाव में हैं।
Post A Comment: