साधारण बीमा कंपनियां भी लाएंगी आइपीओ

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नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। केंद्र सरकार के विनिवेश कार्यक्रम में सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों का नाम भी जुड़ेगा। अगर संसद के शीतकालीन सत्र में नया बीमा संशोधन विधेयक पारित हो गया तो चालू वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान ही देश की चारों सरकारी साधारण बीमा कंपनियों का विनिवेश शेयर बाजार के जरिये किया जाएगा। दरअसल, सरकार को उम्मीद है कि बीमा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़कर 49 फीसद हो जाने के बाद सरकारी साधारण बीमा कंपनियों में भी विदेशी संस्थागत निवेशकों की रुचि बढ़ेगी। इससे इन कंपनियों के आइपीओ को ज्यादा सफल बनाया जा सकेगा।
सरकार साधारण बीमा कंपनियों को शेयर बाजार में उतारने के लिए कई वर्षो से विचार करती रही है। पिछले वर्ष इस बारे में पूरी तैयारी हो जाने के बाद भी इसलिए कदम आगे नहीं बढ़ाए गए, क्योंकि वित्तीय सलाहकारों ने सरकार को यह सुझाव दिया था कि विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने के बाद शेयर बाजार में उतरना बेहतर होगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, 'अगर सब कुछ ठीक रहा तो जनवरी-मार्च, 2012 के दौरान नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस में से किसी दो के शेयर जारी किए जा सकते हैं।'
साधारण बीमा कंपनियों के शेयर निर्गम के पीछे सरकार का उद्देश्य सिर्फ पैसा जुटाना नहीं है। इससे कई फायदे होंगे। अभी तक इन कंपनियों का सही तरह से मूल्यांकन नहीं हो पाया है। पब्लिक इश्यू लाने के दौरान इनकी परिसंपत्तियों व दायित्वों का सही तरीके से मूल्यांकन हो सकेगा। इसका फायदा सरकार को आगे चलकर होगा। बेहतर कॉरपोरेट गवर्नेस का लाभ भी इन कंपनियों को मिलेगा। इनके कामकाज में पारदर्शिता आएगी। प्रतिस्पद्र्धा बढ़ने से निवेशकों व ग्राहकों को भी फायदा होगा। साथ ही निजी क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के लिए भी शेयर बाजार में उतरने का रास्ता बनेगा। पिछले हफ्ते ही बीमा विनियामक व विकास प्राधिकरण [इरडा] ने साधारण बीमा कंपनियों के पब्लिक इश्यू का मसौदा पत्र जारी किया है।
साधारण बीमा कंपनियों को शेयर बाजार में उतारने की तैयारी की वजह से ही प्रस्तावित बीमा संशोधन विधेयक में एक नया अंश जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि इन बीमा कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी किसी भी सूरत में घटकर 51 फीसद से नीचे नहीं आएगी। सरकार मान रही है कि जिस तरह से शेयर बाजार में उतरने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन सुधरा है, कुछ वैसा ही साधारण बीमा कंपनियों के मामले में भी दोहराया जाएगा।
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