आर्थिक संकट से जूझ रही पंजाब सरकार को इस माह 1681 करोड़ रुपये वेतन- पेंशन देने के अलावा 1000 करोड़ रुपये की अन्य देनदारी की टेंशन है। वित्त विभाग के सूत्रों मुताबिक 1000 करोड़ रुपये के सरकारी बिल वित्त विभाग के पास अटके हैं। इन 1000 करोड़ रुपये के बिलों में कर्मचारियों के सेवानिवृति लाभ,पीडब्लूडी,सिंचाई विभाग व नाबार्ड की देनदारी है।
मोहाली में अपना मुख्यालय गिरवी रखकर सरकार के लिए केनरा बैंक से 500 करोड़ रुपये जुटाने वाले पंजाब अर्बन डेवलपमेंट अथारिटी(पुडा) द्वारा सितंबर के पहले हफ्ते में बैंक ऑफ इंडिया से भी 500 करोड़ रुपये का कर्ज लिए जाने की तैयारी है।
पुडा की प्रॉपर्टी गिरवी रखकर कर्मचारियों के लिए वेतन- पेंशन व अन्य खर्च जुटा रही पंजाब सरकार चालू वित्त वर्ष में 13206 करोड़ रुपये के कर्ज उठाएगी। इस कर्ज के उठाने से सरकार पर 31 मार्च 2014 तक कुल 95670 करोड़ रुपये कर्ज का बोझ होने की संभावना है।
कर्ज को बोझ हल्का करने के लिए हालांकि सरकार इस साल पिछले साल की तुलना में 6600 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व कलेक्शन बढ़ाने के लिए हाथ पांव मार रही है।
2013 14 में 20 फीसदी वृद्धि दर से 28524 करोड़ रुपये राजस्व जुटाने का लक्ष्य है पर अप्रैल से जून दौरान सरकार राजस्व में 11 फीसदी वृद्धि दर्ज कर पाई है। 28524 करोड़ राजस्व लक्ष्य में 17760 करोड़ रुपये वैट और 4180 करोड़ रुपये एक्साइज शामिल हैं। 28524 करोड़ रुपये राजस्व में से भी 20750 करोड़ रुपये वेतन और पेंशन में खर्च हो जाएगा।
भले ही सरकार ने छटे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने में हाथ खड़े कर दिये हैं पर सरकार पर वेतन व पेंशन पर होने वाले खर्च का बोझ सालाना औसतन 18 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। इसके अलावा किसानों को मुफ्त बिजली पर इस साल 5785 करोड़ रुपये सब्सिडी, कर्ज पर 7602 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान आदि मिलाकर कुल राजस्व प्राप्तियों का 110 फीसदी से अधिक खर्च हो रहा है।
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