मैत्री पुल का निर्माण कर सभी जीवों से करे क्षमापना संवत्सरी महापर्व आज

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झाबुआ। संवत्सरी पर्व अर्थात वैरी से झवेरी बनने का महापर्व। संवत्सरी पर्व आत्म साधना कर स्वदोष देखने का महापर्व है। जिस तरह रेल्वे लाईन पर लोहे का पुल बनाना आसान है, नदी के दो किनारों पर पत्थर का पुल बनाना आसान है, दो भवनांे को जोड़ने वाला लकड़ी का पुल बनाना आसान है, परन्तु दो व्यक्तियांे के दिल को जोड़ने वाला मैत्री का पुल बनाना कठिन है।
उक्त उद्गार 8 दिवसीय पर्यूषण महापर्व के सातवें दिन श्री कल्पसूत्र का वाचन करते हुए श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में धर्मसभा को संबोधित करते हुए सुश्रावक संजय मेहता ने व्यक्त किए। श्री मेहता ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए क्षमापना एवं संवत्सरी महापर्व का सार बताया। उन्होंने बताया कि परमात्मा ने सभी जीवों के साथ मैत्री पुल का निर्माण किया है, हमे भी वहीं उपदेश दिया है। हम भी पर्यूषण महापर्व के दिन सांवत्सरिक प्रतिक्रमण करते हुए मिच्छामि दुक्कड़म एवं क्षमापना के माध्यम से मैत्री पुल का नव निर्माण करे। किन्तु सफलता तभी प्राप्त होगी, जब हम अपने मन की सरलता से सबके प्रति वैर भाव मिटा देंगे। श्री मेहता ने कल्पसूत्र का वाचन करते हुए भगवान श्री महावीर स्वामी के गणधर स्थापना, निर्वाण अर्थात मोक्ष का वर्णन किया। साथ ही भगवान पाश्र्वनाथजी का चरित्र एवं भगवान श्री नेमीनाथजी के चरित्र का वाचन विस्तृत रूप से किया।
हुए विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम
श्री संघ सचिव यशवंत भंडारी ने बताया कि पर्व के सातवें दिन रविवार को कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें अष्टप्रकारी पूजन, सामायिक, प्रतिक्रमण के साथ अनेक कार्यक्रम संपन्न हुए। श्री संघ के श्रावक-श्राविकाओं द्वारा अभिषेक एवं आरती का लाभ भी लिया जा रहा है। श्री कल्पसूत्र के प्रवचन में रविवार को श्रावक-श्राविकाओं की भारी भीड़ रहीं। श्री संघ अध्यक्ष राजेंद्र मेहता ने बताया कि जैनाचार्य श्री जयंतसेन सूरीश्वरजी मसा की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से तपस्याओं का क्रम जारी है। 10 से अधिक तपस्वियों के आठ उपवास एवं 50 से अधिक तीन उपवास की तपस्या जारी है। रविवार को 150 से अधिक तपस्वियों ने उपवास के पच्चखाण लिए।
चैवीसी का हुआ आयोजन
प्रवक्ता रिंकू रूनवाल ने बताया कि परम् पूज्य आचार्य श्री रविन्द्र सूरीजी मसा के आज्ञानुवर्ती श्री जीवदया प्रेमी मुनि श्री ऋषभचंद्रविजयजी मसा की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से कु. प्राची मोदी की अट्ठाई तप के उपलक्ष में 24 भगवान की स्तुति रूप, चैवीसी का आयोजन रविवार शाम को किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी।
संवत्सरी महापर्व आज
8 दिवसीय पर्यूषण महापर्व के अंतिम दिन सोमवार को संवत्सरी महापर्व पर श्री संघ द्वारा 84 लाख जीवों के प्रति सामूहिक क्षमायाचना की जाएगी और साथ ही वर्षभर में हुई कोई भूल या गलती जिसके कारण किसी का भी दिल दुखा हो, उसके प्रति क्षमा मांगी जाएगी। पर्यूषण पर्व के समापन पर समाज के अधिकांश सदस्यांे द्वारा चैविहार उपवास किया जाएगा। जिसमें 36 घंटे तक तपस्वी अन्न एवं जल ग्रहण नहीं करते है। साथ ही पोषध व्रत कर पूरे दिन साधु जीवन के समान व्यतीत करते है। उधर बंटू अग्निहोत्री मित्र मंडल द्वारा पर्व के दौरान प्रतिदिन जीवदया के कार्य किए जा रहे है। यह कार्य जीवदया प्रेमी श्री ऋषभचंद्रविजयजी मसा की प्रेरणा से किया जा रहा है। इसी क्रम में मंडल के सदस्यों द्वारा एक क्विंटल गेहूं जीवदया मंडल को भेंट किए गए। 
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