भारत के आगे ढीला पड़ा चीन

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'हमलावर' भारत के आगे ढीला पड़ा चीननई दिल्ली. क्या अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन (चीन के आगे भारत घुटने टेकने को तैयार: अरुणाचल के बदले अक्साई चिन देने पर राजी?) के तेवर ढीले पड़ रहे हैं? चार साल पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा को लेकर जताई गई तीव्र प्रतिक्रिया के उलट चीन ने शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर बहुत सधी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चीन ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि भारत ऐसी कार्रवाइयों से परहेज करेगा जिनसे सीमा का सवाल जटिल हो जाए। अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करने वाले इस पड़ोसी देश ने इस बारे में पूछे गए सवाल पर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों की अच्छी रफ्तार और सीमा विवाद सुलझाने के लिए संयुक्त प्रयासों का जिक्र किया। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय पक्ष संपूर्ण आपसी हितों की रक्षा के लिए आधे रास्ते तक आकर मिल सकता है और ऐसी कार्रवाइयां करने से परहेज कर सकता है जिनसे सीमा का सवाल उलझ जाए। भारत सीमाई इलाके में शांति और सद्भाव के लिए हमारे साथ मिलकर काम कर सकता है और सीमा पर बातचीत के लिए स्थिति को ठोस बना सकता है।' 
 
मंत्रालय ने शुक्रवार से शुरू हुए मुखर्जी के दो दिवसीय अरुणाचल प्रदेश दौरे पर एजेंसी की ओर से मांगी गई प्रतिक्रिया के लिखित जवाब में अपनी स्थिति स्पष्ट की है। उसने आगे कहा है कि चीन और भारत के रिश्ते विकास की राह पर सही गति को बरकरार रखे हुए हैं। दोनों पक्ष उन रास्तों की तलाश कर रहे हैं जिनसे सीमा के सवाल को दोस्ताना बातचीत के जरिये विशेष प्रतिनिधियों के बैठक में हल कर लिया जाए। 'हमलावर' भारत के आगे ढीला पड़ा चीन
                 
भारत का कड़ा रुख, राष्ट्रपति ने दिया सख्त संदेश 
 
भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दोहराया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और महत्वपूर्ण भाग है। उन्होंने इस इलाके से जुड़े इतिहास और उसके भारतीय संस्कृति से रिश्ते के कई उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि यह राज्य देश की ‘पूर्व को देखो’ की नीति का अहम हिस्सा है। मुखर्जी ने को अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में विधायकों को संबोधित कर रहे थे। वे यहां की विधानसभा को संबोधित करने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। उन्होंने कहा कि भारत का उत्तर पूर्वी इलाका देश और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच प्राकृतिक सेतु का काम करता है। अरुणाचल प्रदेश की सीमा तीन देशों से लगती है। इसलिए भी यहां के सीमावर्ती इलाकों का विकास बहुत जरूरी है। इस पर हमारा खास ध्यान होना चाहिए। 
 
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