जख्‍मी होने के बाद विवादित 'जगतगुरु' कृपालु महाराज की मौत?

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जख्‍मी होने के बाद विवादित 'जगतगुरु' कृपालु महाराज की मौत?
नई दिल्‍ली. आध्‍यात्मिक गुरु कृपालु महाराज के निधन को लेकर विरोधाभासी खबरें आ रही हैं। एक न्‍यूज एजेंसी के मुताबिक कृपालु महाराज ने आज गुडगांव के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 91 वर्ष के थे। कृ‍पालु महाराज प्रतापगढ़ स्थित अपने आश्रम में फिसल गए थे जिससे उनके सिर में गंभीर चोट लग गई थी। इसके बाद उन्‍हें सोमवार देर शाम गुड़गांव के एक निजी अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। ट्विटर पर लोग कृपालु महाराज को श्रद्धांजलि भी देने लगे हैं लेकिन, फेसबुक पर कृपाल महाराज के ट्रस्‍ट का आधिकारिक अकाउंट होने का दावा करने वाले जगतगुरु कृपालु परिषद का कहना है कि महाराज के निधन से जुड़ी खबर निराधार है। हालांकि परिषद ने यह माना है कि कृपालु महाराज को सिर में चोट लगी थी और उन्‍हें गुड़गांव के फोर्टिस अस्‍पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया। परिषद का कहना है कि कृपालु महाराज का ऑपरेशन हुआ है और उनके भक्‍त उनकी सलामती की दुआ कर रहे हैं। अस्पताल ने कृपालु के निधन पर कुछ कहने से इंकार कर दिया है।  
कृपालु महाराज जगदगुरु कृपालु परिषद के संस्थापक संरक्षक थे। उन्होंने हिंदू धर्म की शिक्षा और योग के लिए भारत में चार और अमेरिका में एक केंद्र की स्थापना की़ थी।  वाराणसी की काशी विद्धत परिषद ने कृपालु महाराज को 34 साल की उम्र में मकर संक्रांति के मौके पर 14 जनवरी 1957 को जगदगुरु की उपाधि प्रदान की थी।
जख्‍मी होने के बाद विवादित 'जगतगुरु' कृपालु महाराज की मौत?
यूपी के प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव मनगढ़ में अक्‍टूबर 1922 में पैदा हुए कृपालु महाराज के ख्‍याति देश-विदेश तक फैली है। बताया जाता है कि कृपालु महाराज का जन्‍म भगवती देवी और ललिता प्रसाद की संतान के रूप में हुआ था जिन्‍हें माता-पिता ने 'राम कृपालु' नाम दिया था।
 
खुद को कृष्ण और चैतन्य प्रभु का अवतार बताने वाले कृपालु महाराज को लेकर विवाद भी रहे। उनके दामन पर महिलाओं से अभद्रता के आरोपों के दाग लगे। कृपालु महाराज की एक शिष्या केरेने जॉनसन ने 'सेक्स, लाइज एंड टू हिंदू गुरुज: हाउ आई वॉज कॉन्ड बाई अ डैंजरस कल्ट' नाम की किताब में उनके आश्रमों में चल रही गतिविधियों और खुद कृपालु महाराज के चरित्र को लेकर कई संगीन आरोप लगाए थे।
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कृपालु महाराज की पूर्व अमेरिकी शिष्या केरेन जॉनसन का कहना था कि उनका अपने पूर्व गुरु के यहां 15 सालों का तजुर्बा बहुत ही खराब रहा। अपने बारे में केरेन ने बताया, 'मैं जगदगुरु कृपालु परिषद (जेकेपी) संप्रदाय की सदस्य थी। मैं अमेरिका के ऑस्टिन शहर में जेकेपी आश्रम में 15 सालों तक रही। पहले इस आश्रम को बरसाना धाम कहा जाता था। जब मुझे लगा कि मैं एक खतरनाक संप्रदाय का हिस्सा हूं तो मुझे लगा कि इसकी पोल खोलना जरूरी है। मैं शुरुआत में आध्यात्मिकता की तलाश कर रही मासूम युवती थी। लेकिन अब मैं इंसाफ चाहती हूं। मैं उन लड़कियों और बच्चों के लिए लड़ना चाहती हूं जो इन गुरुओं का शिकार बनीं।'  
कृपालु महाराज की पूर्व अमेरिकन शिष्या केरेन जॉनसन के मुताबिक उनके पूर्व गुरु की बेडरूम गतिविधियों की तीखी आलोचना होती है। केरेन के मुताबिक, 'चूंकि उन्हें भक्त कृष्ण का अवतार मानते हैं, इसलिए उनका सेक्शुअल टच ईश्वरीय प्रेम का उपहार या प्रेमदान मान लिया जाता है।'
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कृपालु महाराज के 'संत' होने की कहानी भी कम रोचक नहीं है। उनका दावा था कि उन्‍हें 14 साल की उम्र में ही दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। प्रतापगढ़ और इंदौर में शिक्षा ग्रहण करने वाले कृपालु महाराज ने इंदौर के महू संस्कृत कॉलेज से आचार्य की डिग्री ली थी। बाद में वे प्रवचन में जुट गए। उन्‍होंने चित्रकूट, महोबा, मथुरा, वृंदावन, इलाहाबाद और झांसी में प्रवचन के मार्फत शिष्य बनाए। कृपालु महाराज मुख्य रूप से राधा-कृष्ण के भक्त थे।
जख्‍मी होने के बाद विवादित 'जगतगुरु' कृपालु महाराज की मौत?
कृपालु महाराज ने प्रतापगढ़ में अपने जन्मस्थल पर विराट श्रीराम-जानकी मंदिर के अलावा मथुरा-वृंदावन में भव्‍य मंदिर बनवाए। कृपालु महाराज ने न सिर्फ मंदिरों का निर्माण कराया बल्कि कई कॉलेजों की स्थापना भी कराई, जहां निशुल्‍क शिक्षा दी जाती है। उन्‍होंने कई अस्पताल भी खोले जहां पर लोगों का मुफ्त इलाज और भोजन दिया जाता है। यूपी के राज्यपाल रहे विष्णुकांत शास्त्री उनके यहां नियमित रूप से आते-जाते थे। 
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कृपालु महाराज अपने कार्यों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते थे। उनके आश्रम में अक्सर भंडारा किया जाता है जहां पर बर्तन और वस्त्र आदि भी प्रसाद के रूप में मिलते थे। उनके देश-विदेश सहित कई स्थानों पर आश्रम हैं। साल 2010 में अपनी पत्‍नी के निधन की बसरी पर प्रतापगढ़ स्थित आश्रम पर भंडारे के दौरान मची भगदड़ में 63 लोगों की जान चली गई थी। हालांकि, इस हादसे के दो दिन बाद ही उन्होंने वृंदावन में एक और भंडारा रख लिया। यह भंडारा भी कोई छोटा-मोटा भंडारा नहीं था बल्कि इसके लिए करीब 10 हजार लोगों को निमंत्रण दिया गया था। हैरानी की बात यह रही कि इस बार भी भंडारे के लिए प्रशासन से इजाजत नहीं ली गई। जब इस बारे में आश्रम के प्रवक्ता से पूछा गया तो उनका जवाब था, 'अगर किसी के घर में कोई फंक्शन होता है तो उसके लिए इजाजत नहीं ली जाती है।'
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नई दिल्ली.

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