अविवादित प्रॉपर्टी की खरीद में सहायक है होम लोन

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कर-बचत के साथ अविवादित प्रॉपर्टी की खरीद में सहायक है होम लोन
होम लोन लेकर प्रॉपर्टी खरीदने के प्रत्यक्ष तौर पर दो लाभ हैं- पहला, यह सुनिश्चित हो जाता है कि जिस प्रॉपर्टी पर आपको बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां कर्ज दे रही हैं वह विवादित नहीं है और दूसरा यह कि होम लोन के मूलधन और ब्याज के पुनर्भुगतान पर आपको आयकर में कटौती का लाभ मिलता है।


कभी आपने गौर किया है कि जिन लोगों के पास अकूत पैसे होते हैं वह भी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए अक्सर होम लोन का सहारा लेते हैं। इसके दो मुख्य कारण हैं। पहला, आम तौर पर यह माना जाता है कि बैंक जिस प्रॉपर्टी को फाइनेंस करते हैं उसके साथ किसी तरह का विवाद नहीं जुड़ा होता। टाइटल में किसी तरह का झंझट नहीं होता और विभिन्न प्राधिकरणों की मंजूरी प्रॉपर्टी के लिए मिल चुकी होती है।
हालांकि, यह जरूरी भी नहीं है कि जिस प्रॉपर्टी के लिए बैंक फाइनेंस करते हैं उसमें कोई झंझट हो ही नहीं। ज्यादातर मामलों में बैंक जिस प्रॉपर्टी के लिए फाइनेंस करते हैं वह विवादित नहीं होता। दूसरा, होम लोन के ब्याज और मूलधन के भुगतान पर आयकर में लाभ मिलता है। लेकिन होम लोन लेने से पहले प्रॉपर्टी के खरीदारों को भी अपनी तरफ से पूरी तैयारी करते हुए चलना चाहिए।
कुल लागत की गणना करना जरूरी
प्रॉपर्टी चुन लेने के बाद उससे जुड़ी हर तरह की लागतों को समझना जरूरी है। अगर आप किसी बिल्डिंग में अपार्टमेंट खरीदने जा रहे हैं तो फ्लैट की कीमत जो रुपये प्रति वर्ग फीट में होती है के अतिरिक्त मूल्यवद्र्धित कर, सर्विस टैक्स, बिजली और पानी के कनेक्शन की लागत, मेंटिनेंस चार्ज, पार्किंग सुविधा का खर्च, रजिस्ट्रेशन और स्टांप ड्यूटी शुल्क पर भी गौर फरमाएं।
इन सारे खर्च को जोडऩे के बाद आपको घर की वास्तविक लागत का पता चलता है। एक खरीदार को लोन की राशि का निर्धारण कुल लागत के आधार पर करनी चाहिए न कि केवल मूल प्रॉपर्टी की कीमत के आधार पर।
लोन उपलब्ध कराने वाले बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की शर्तों को समझें
यह आवश्यक नहीं है कि जिस क्षेत्र की प्रॉपर्टी आपको पसंद आ रही है, उसके लिए आपकी मनचाही हाउसिंग फाइनेंस कंपनी या बैंक होम लोन दे ही दे। वास्तव में, प्रत्येक बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की टेक्निकल टीम लोकैलिटी और प्रॉपर्टी का आकलन कंपनी के मानदंडों के आधार पर करती है। सबके मानदंड अलग-अलग होते हैं। इसलिए, लोन लेने से पहले बिल्डर और उस लोकैलिटी में रह रहे लोगों से पता कर लें कि वहां कि प्रॉपर्टी के लिए फाइनेंस के क्या विकल्प उपलब्ध हैं।
होम लोन लेते समय ब्याज दरों के अलावा प्रोसेसिंग फीस, प्री-पेमेंट पेनाल्टी आदि पर भी गौर करना चाहिए। कई बार ग्राहकों के साथ ऐसा भी होता है कि उन्होंने होम लोन के लिए आवेदन तो किया पर प्रॉपर्टी या ग्राहक की पात्रता में कमी की वजह से लोन नहीं मिल पाता। ऐसे में लोन राशि के 0.25 प्रतिशत से 0.75 तक लिया जाने वाला प्रोसेसिंग शुल्क बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां आंशिक रूप से ही वापस करती है।
आम तौर पर किसी ग्राहक का होम लोन किसी कारणवश सैंक्शन नहीं हो पाता तो बैंक और एचएफसी जायज खर्चे काटने के बाद प्रोसेसिंग शुल्क की शेष राशि वापस कर देते हैं। हालांकि, लोन के लिए आवेदन करने से पहले इन मुद्दों को लिखित तौर पर स्पष्ट कर लेना ठीक रहता है, ताकि बाद में किसी अप्रत्याशित परेशानियों का सामना न करना पड़े।
फ्लोटिंग या फिक्स्ड ब्याज दर
बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां फिक्स्ड और फ्लोटिंग दरों की पेशकश करती हैं। तात्कालिक तौर पर कई ग्राहकों को फिक्स्ड रेट फायदे का सौदा लगता है।
इसकी प्रमुख वजह होती है कि वे इस बात से अनभिज्ञ होते हैं कि बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां एक खास समय के बाद फिक्स्ड ब्याज दरों की समीक्षा कर सकती है। दूसरी तरफ, फ्लोटिंग रेट में बाजार परिस्थितियों के अनुसार उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।
यहां गौर करने वाली बात यह होती है कि बाजार में दरों के घटने पर नए ग्राहकों के लिए तो बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां कम कर देते हैं लेकिन पुराने ग्राहकों को इसका लाभ जल्द नहीं मिल पाता। फ्लोटिंग रेट का चयन करने पर चेक कर लें कि ब्याज दरें कम होने के कितने दिनों बाद बैंक पुराने ग्राहकों के फ्लोटिंग रेट में कटौती करेगा। इस बात की भी पड़ताल कर लें कि उस बैंक ने फ्लोटिंग रेट में कब-कब बड़ी कटौती की है।
होम लोन पर आयकर का लाभ
एक वित्त वर्ष में होम लोन के 1.5 लाख रुपये तक के ब्याज के भुगतान पर आयकर में छूट का लाभ उठा सकते हैं। इसके अतिरिक्त एक वित्त वर्ष में एक लाख रुपये तक मूलधन के पुनर्भुगतान पर भी आयकर का लाभ प्राप्त होता है।
आम लोगों के बीच यह भ्रम भी है कि सिर्फ बैंकों या कुछ विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं से लिए जाने वाले होम लोन पर ही ब्याज में छूट हेतु क्लेम किया जा सकता है। लेकिन वास्तविकता यह नहीं है। आप अपने रिश्तेदारों समेत किसी भी व्यक्ति से पैसा उधार ले सकते हैं और अपनी संपत्ति के विरुद्ध दिए जाने वाले ब्याज पर आयकर कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं।

होम लोन के लिए आवश्यक दस्तावेज
आम तौर पर बैंक एवं हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां प्रॉपर्टी की कीमत का 75 से 80 प्रतिशत तक के लिए फाइनेंस करते हैं। होम फस्र्ट फाइनेंस कंपनी प्रॉपर्टी की कीमत के 90 प्रतिशत तक के लिए फाइनेंस करती है, हालांकि, इसकी अपनी कुछ शर्तें है। आम तौर बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां को होम लोन आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज चाहिए होते हैं
1. इनकम प्रूफ: इसके लिए नौकरी पेशा व्यक्ति हों या स्व-रोजगारी, दो साल का आयकर रिटर्न दे सकते हैं। हालांकि, कुछ हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां फॉर्म 16 को भी आधार मानती है। इसके अलावा बैंक खाते का स्टेटमेंट भी देना जरूरी होता है। स्व-रोजगारियों के लिए कारोबार का प्रूफ, बैलेंस शीट और आयकर रिटर्न आदि होम लोन अप्लीकेशन के साथ देना होता है।
2. एड्रेस प्रूफ: इसके अंतर्गत बिजली या पानी का बिल, टेलीफोन बिल, वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट जैसे दस्तावेज स्वीकार्य होते हैं।
3. नौकरी या कारोबार की विस्तृत जानकारी से जुड़े दस्तावेज।
4. शैक्षणिक योग्यता से जुड़े दस्तावेज।
5. प्रॉपर्टी से जुड़े कागजात: इसमें टाइटल से लेकर विभिन्न प्राधिकरणों की मंजूरी और नक्शा आदि शामिल होते हैं। कुछ प्रॉपर्टी बैंक द्वारा पी-एप्रूव्ड होते हैं, ऐसे मामलों में लोन लेने वालों को नहीं देने होते ये कागजात।
6. आइडेंटिटी प्रूफ: पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट आदि।
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