स्वयं सहायता समूह से जुडकर वीणा बनी लखपति
मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा ग्रामीण क्षैत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में सार्थक सहयोग किया जा रहा है। ग्रामीण महिलाएॅ पलायन कर मजदूरी करने की बजाय स्वयं का स्वरोजगार स्थापित कर परिवार का भरण-पोषण कर रही है। झाबुआ जिले की झाबुआ तहसील के ग्राम गोपालपुरा की वीणा पति अशोक मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत गठित आशा स्वयं सहायता समूह से जुड़कर लखपति बन गई है। स्वयं का सिलाई चुडी एवं किराना दुकान का व्यवसाय कर वह डेढ-दो लाख रूपये वार्षिक कमा रही है।
गोपालपुरा की वीणा ने चर्चा के दौरान बताया कि मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के समूह से जुडने के पूर्व उसके परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय थी। पति-पत्नि दोनो मिलकर थाडी सी जमीन पर खेती कर जैसे-तैसे भरण-पोषण कर पाते थे। बच्चों की पढाई का खर्च उनके लिये बडी चिंता का विषय था। बच्चों की पढाई एवं अन्य खर्चो के लिए साहुकारो से कर्ज लेना पड़ता था और रहवासी मकान की स्थिति भी चिंतनीय थी। ऐसे में पति को शराब पीने की बुरी आदत भी थी जिससे जो पैसा आता वह भी शराब में चला जाता।
आशा स्वयं सहायता समूह से जुडनें के बाद वीणा ने समूह से लोन लेकर सिलाई का काम प्रारंभ किया। साथ ही पति की शराब की आदत छुडाकर किराने की दुकान डलवाई। प्राप्त आमदनी मे से की गई बचत एवं समूह से कर्ज लेकर वीणा ने चुडी निर्माण का काम भी सीखा और प्रारंभ कर दिया। वीणा ने बताया कि अपना व्यावसाय आगे बढाने के लिए उसने समूह से 5 बार में कुल 90 हजार रूपये का लोन लिया और वापस भी कर दिया। वीणा ने थोडी-थोडी बचत कर पक्का मकान भी बना लिया है। अब वीणा के परिवार की आय भी डेढ से दो लाख रूपये वार्षिक हो गई है। वीणा एवं उसके पति ने मिलकर अपने व्यावसाय को आगे बढाया है। अब घरेलू खर्चो के लिए किसी प्रकार का कर्ज नहीं लेना पढता।
गोपालपुरा की वीणा ने चर्चा के दौरान बताया कि मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के समूह से जुडने के पूर्व उसके परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय थी। पति-पत्नि दोनो मिलकर थाडी सी जमीन पर खेती कर जैसे-तैसे भरण-पोषण कर पाते थे। बच्चों की पढाई का खर्च उनके लिये बडी चिंता का विषय था। बच्चों की पढाई एवं अन्य खर्चो के लिए साहुकारो से कर्ज लेना पड़ता था और रहवासी मकान की स्थिति भी चिंतनीय थी। ऐसे में पति को शराब पीने की बुरी आदत भी थी जिससे जो पैसा आता वह भी शराब में चला जाता।
आशा स्वयं सहायता समूह से जुडनें के बाद वीणा ने समूह से लोन लेकर सिलाई का काम प्रारंभ किया। साथ ही पति की शराब की आदत छुडाकर किराने की दुकान डलवाई। प्राप्त आमदनी मे से की गई बचत एवं समूह से कर्ज लेकर वीणा ने चुडी निर्माण का काम भी सीखा और प्रारंभ कर दिया। वीणा ने बताया कि अपना व्यावसाय आगे बढाने के लिए उसने समूह से 5 बार में कुल 90 हजार रूपये का लोन लिया और वापस भी कर दिया। वीणा ने थोडी-थोडी बचत कर पक्का मकान भी बना लिया है। अब वीणा के परिवार की आय भी डेढ से दो लाख रूपये वार्षिक हो गई है। वीणा एवं उसके पति ने मिलकर अपने व्यावसाय को आगे बढाया है। अब घरेलू खर्चो के लिए किसी प्रकार का कर्ज नहीं लेना पढता।
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