कृषिगत विकास के लिए समग्र प्रयास जरूरी झाबुआ

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झाबुआ जिले के कृषिगत विकास और जनजाति किसानो की आजीविका उन्नयन के लिए कृषिे के साथ-साथ उद्यानिकी, मत्स्यपालन, पशुपालन, सहकारिता, बैंक, डेयरी इत्यादि समस्त संवर्गो को समन्वय के साथ समग्र नियोजित प्रयास किये जाना आवश्यक है। किसानों को उनकी फसलो की बेहतर उत्पादकता प्राप्त करने के लिए उन्नत बीज के साथ-साथ भूमि का स्वास्थ्य और पौधे के एकीकृत पोषण के लिए समस्त जरूरी आदान और तकनीकी रूप से दक्ष किया जाना आज के समय की महती आवश्यकता है। किसान और किसानी के विकास के लिए कृषको को कृषक समूह और बीज उत्पादक समितियों में संगठित कर उनका तकनीकी उन्नमुखीकरण करना होगा। उक्त उदगार कलेक्टर जयश्री कियावत ने विगत  05.10.2012 को जिले के कृषि, उद्यानिकी, मत्स्यपालन, पशुपालन,सहकारिता, बैंक, डेयरी इत्यादि समस्त विभागो की योजनाओं बैठक में व्यक्त किये। कलेक्टर ने इन विभागो की प्रगति और आने वाले वर्षो के लिए रणनीतिक कार्ययोजना पर बिन्दूवार चर्चा करते हुए उत्तरोत्तर लक्ष्य प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन और निर्देशन किया। बैठक के दौरान जिले के विस्तार सुधार कार्यक्रम आत्मा की गवर्निग बोर्ड और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन की जिला कार्यकारी समिति तथा राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन की बैठक भी सम्पन्न हुई। आत्मा और मिशन बैठकों की अध्यक्षता करते हुए कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिले के कृषकों को राज्य और देश के ख्यातिलब्ध कृषिगत अनुसंधान संस्थाओं में भ्रमण और प्रशिक्षण करवाते हुए उन्हे नवीन तकनीक से सुपरिचित करवाया जावे। कलेक्टर ने जिले में बीज प्रतिस्थापन दर के साथ-साथ कृषि और उद्यानिकी में यंत्रीकरण को बढावा देने पर विशेष जोर दिया। नवीन किस्मों का बीज सुलभ करवाने और बीज वितरण कार्य को अभियान पर लेने के लिए जिला कलेक्टर ने बीज निगम केसाथ-साथ कृषि विज्ञान केन्द्र और अशासकीय संस्थाओं को भी निर्देशित किया। सोयाबीन फसल में रिज-फरो पद्धति से शतप्रतिशत रकबा करने और धान एस.आर.आई पद्धति लागू करने के लिए कस्टम हायरिंग केन्द्रो पर आवश्यक यंत्रो की व्यवस्था करने के लिए उपायुक्त सहकारिता को निर्देशित किया। जिले में दलहनी और तिलहनी फसलो का बहुत बडा रकबा होने के कारण सल्फर और जिंक जैसे सुक्ष्मपोषी तत्वो की अनुदान पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जिला विपणन अधिकारी को आवश्यक निर्देश दिये। जिले में दुग्ध उत्पादन और मुर्गीपालन का स्तर बढाते हुए गरीब जनजाति परिवारों की आजीविका सम्पन्न करने के लिए कृत्रिम गर्भाधान, दुग्ध समितियो को सक्षम बनाना, कडकनाथ मुर्गीपालन को बडावा देने के लिए कृषकों को समुचित मात्रा में चुजे उपलब्ध करावाना जैसे कार्यो पर उप संचालक पशु चिकित्सा और डेयरी विभाग को निर्देश दिये। बैठक में उप संचालक कृषि श्री एस.एन. सेन, सहायक संचालक उद्यानिकी श्री आशीष कनेश, उपायुक्त सहकारिता श्री सातनकर, वरिष्ठ महाप्रबंधक जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक श्री पी.एन. यादव, जिला विपणन अधिकारी, प्रतिनिधि बीज निगम, सहायक संचालक मत्स्य श्री वर्मा ने बैठक में अपने-अपने विभाग का वर्ष 2011-12 की प्रगति एवं वर्ष 2012-13 में प्रस्तावित कार्ययोजना पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। बैठक में कृषि विज्ञान केन्द्र के कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. आई.एस. तोमर, डाॅ. यादव, डाॅ. जादौन तथा सहायक संचालक कृषि श्री संतोष मोर्य, श्री एच.एस.चैहान, श्री एस.एस. रावत, उद्यानिकी विभाग के श्री बी.एस. चैहान, जिला प्रबंधक एम.पी. एग्रो श्री डाहली, तथा शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं के सदस्य एवं कृषक प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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