एनडीए की ममता पर तो ममता की येदि पर नजरें

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नई दिल्ली. एनडीए के भावी साथियों को लेकर भाजपा की नजर ममता बनर्जी पर टिकी है, तो दीदी भी अपनी पार्टी के विस्तार के लिए बीएस येदियुरप्पा में संभावना तलाश रही हैं। ममता की प्रतिनिधि के साथ येदियुरप्पा की लंबी और सकारात्मक बातचीत हुई है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा इन दिनों भाजपा से नाराज चल रहे हैं। वह अपनी नई पार्टी बनाने के संकेत दे रहे हैं। नाराज येदियुरप्पा सूरजकुंड में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी शामिल नहीं हुए। सूत्रों का कहना है कि येदियुरप्पा नई पार्टी बनाने या किसी अन्य पार्टी में शामिल होने के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। तृणमूल की तरफ से येदियुरप्पा से संपर्क भी साधा गया है। सूत्रों का कहना है कि गोवा विधानसभा चुनाव में तृणमूल के चुनाव प्रबंधन से जुड़ी मारिया ने पिछले सप्ताह येदियुरप्पा से मुलाकात की है। दोनों के बीच सकारात्मक बातचीत हुई है।

येदियुरप्पा के नजदीकी माने जाने वाले आरपी जगदीश ने कहा है कि येदियुरप्पा कई विकल्पों पर बातचीत कर रहे हैं और विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग उनसे संपर्क में है लेकिन येदियुरप्पा ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। वह भाजपा में हैं। उधर, भाजपा से जुड़े लोगों का कहना है कि येदियुरप्पा की नाराजगी दूर करने के जितने उपाय हो सकते थे, वह भाजपा नेतृत्व ने किया है। उनकी जो भी शिकायत है वह पार्टी का अंदरूनी मामला है और येदियुरप्पा, भाजपा के साथ हैं और रहेंगे। तृणमूल नेताओं से येदियुरप्पा की मुलाकात को भी भाजपा गंभीरता से नहीं ले रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि राजनीति में दूसरी पार्टी के लोगों से मुलाकात स्वभाविक है हर चीज को पार्टी छोड़ कर जाने से जोड़ना ठीक नहीं है।

येदियुरप्पा का गणित
येदियुरप्पा कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के सबसे ताकतवर नेता माने जाते हैं। दक्षिण के इस राज्य में भाजपा को सत्ता में लाने में उनका बड़ा योगदान है। लिंगायत समुदाय के ताकतवर नेता होने के साथ ही येदियुरप्पा किसान नेता के रूप में भी अपनी पहचान रखते हैं। भाजपा के काफी विधायक उनके समर्थक हैं। ऐसे में येदियुरप्पा यदि भाजपा छोड़ते हैं और ममता उन्हें साधने में सफल रही तो येदियुरप्पा को नई पार्टी बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वह कर्नाटक में खुलकर काम कर सकते हैं।
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