हिन्दू संस्कृति रिश्तों और जीवन मूल्यों के प्रति विश्वास, समर्पण व
सम्मान का जज्बा बनाए रखने वाले सूत्रों और महान आदर्शों का खजाना है। इसी
खजाने का एक अनमोल रत्न है - गुरु पूर्णिमा उत्सव।
गुरु और शिष्य का संबंध तमाम सांसारिक रिश्तों में श्रेष्ठ और ऊपर माना गया है। क्योंकि धर्म, अध्यात्म या व्यावहारिक जीवन किसी भी रूप में गुरु की ज्ञान व शक्ति की ऊर्जा व रोशनी शिष्य के चरित्र, व्यक्तित्व और व्यवहार को उजला बनाकर जीवन के तमाम दोष, दुर्गण और विकार रूपी अंधकार का नाश करती है।
भौतिक सुखों से भरे आज के माहौल में कई लोग अंदर और बाहरी द्वंद्व या संघर्ष से आहत हो सुख की राह पाने के लिये जूझते हैं। ऐसी मानसिक और व्यावहारिक मुश्किलों में एक श्रेष्ठ गुरु मिलना कठिन हो जाता है। अगर आप भी संकटमोचक गुरु की आस रखते हैं तो गुरु पूर्णिमा की शुभ घड़ी में यहां बताए जा रहे सूत्र से आप एक श्रेष्ठ गुरु पाने के साथ सफलता के 6 गुरु मंत्र सीख सकते हैं - यह अनमोल सूत्र है - संकटमोचक हनुमान को इष्ट बनाकर गुरु के समान सेवा, भक्ति। पूर्णिमा तिथि पर श्री हनुमान उपासना का शुभ मानी जाती है। क्योंकि श्री हनुमान का जन्म भी पूर्णिमा तिथि पर माना गया है। श्री हनुमान को गुरु मान उनके चरित्र का स्मरण सफल जीवन के लिए मार्गदर्शन ही नहीं करता है, बल्कि संकटमोचक भी साबित होता है। सीखें हनुमान के चरित्र से कामयाबी के कुछ खास गुरु मंत्र -
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा हनुमान भक्ति के रची गई हनुमान चालीसा की शुरुआत गुरु स्मरण से ही होती है, जिसमें श्री हनुमान के प्रति भी गुरु भक्ति का भाव छुपा है। ऐसे ही गुरु भाव से हनुमान का स्मरण कर अगली स्लाइड्स में बताए विनम्रता - गुण और शक्ति संपन्न होने पर भी हनुमान अहंकार से मुक्त रहे। सीख है कि किसी भी रूप में अहं को जगह न दें। हमेशा नम्रता और सीखने का भाव मन में कायम रखें।
इसी तरह जानिए 5 और बेजोड़ सूत्र -मान और समर्पण - श्री हनुमान ने हर रिश्तों को मान दिया और उसके प्रति समर्पित रहे, फिर चाहे वह माता हो, वानर राज सुग्रीव या अपने इष्ट भगवान राम । संदेश है कि परिवार और अपने क्षेत्र से जुड़े हर संबंध में मधुरता बनाए रखें। क्योंकि इन रिश्तों के प्रेम, सहयोग और विश्वास से मिली ऊर्जा, उत्साह और दुआओं आपकी सफलता तय कर देती है।कृतज्ञता - जीवन में दंभ रहित या आत्म प्रशंसा का भाव पतन का कारण होती है। श्री हनुमान से कृतज्ञता के भाव सीख जीवन में उतारे। अपनी हर सफलता में परिजनों, इष्टजनों और बड़ों का योगदान न भूलें। जैसे हनुमान ने अपनी तमाम सफलता का कारण श्रीराम को ही बताया। धैर्य और निर्भयता - श्री हनुमान से धैर्य और निडरता का सूत्र जीवन की तमाम मुश्किल हालात में भी मनोबल देता है। जिसके दम पर ही लंका में जाकर हनुमान ने रावण राज के अंत का बिगुल बजाया। विवेक और निर्णय क्षमता - श्री हनुमान ने सीता खोज में समुद्र पार करते वक्त सुरसा, सिंहिका, मेनाक पर्वत जैसी अनेक बाधाओं का सामना किया। किं तु बुद्धि, विवेक और सही निर्णय लेकर बिना प्रलोभन और डावांडोल हुए अपने लक्ष्य की ओर बढें। आप भी जीवन में सही और गलत की पहचान कर अपने मकसद को कभी न छोड़े। तालमेल की क्षमता - श्री हनुमान ने अपने स्वभाव व व्यवहार से हर स्थिति, काल और अवसर से तालमेल बैठाया बल्कि हर युग और काल में सबके प्रिय बने। हनुमान के इस सूत्र से आप भी अपने बोल, व्यवहार और स्वभाव में सेवा, प्रेम और मधुरता घोलकर सभी का भरोसा और प्रेम पाकर सफलता की ऊंचाईयों को पा सकते हैं, ठीक श्री हनुमान की तरह।
गुरु और शिष्य का संबंध तमाम सांसारिक रिश्तों में श्रेष्ठ और ऊपर माना गया है। क्योंकि धर्म, अध्यात्म या व्यावहारिक जीवन किसी भी रूप में गुरु की ज्ञान व शक्ति की ऊर्जा व रोशनी शिष्य के चरित्र, व्यक्तित्व और व्यवहार को उजला बनाकर जीवन के तमाम दोष, दुर्गण और विकार रूपी अंधकार का नाश करती है।
भौतिक सुखों से भरे आज के माहौल में कई लोग अंदर और बाहरी द्वंद्व या संघर्ष से आहत हो सुख की राह पाने के लिये जूझते हैं। ऐसी मानसिक और व्यावहारिक मुश्किलों में एक श्रेष्ठ गुरु मिलना कठिन हो जाता है। अगर आप भी संकटमोचक गुरु की आस रखते हैं तो गुरु पूर्णिमा की शुभ घड़ी में यहां बताए जा रहे सूत्र से आप एक श्रेष्ठ गुरु पाने के साथ सफलता के 6 गुरु मंत्र सीख सकते हैं - यह अनमोल सूत्र है - संकटमोचक हनुमान को इष्ट बनाकर गुरु के समान सेवा, भक्ति। पूर्णिमा तिथि पर श्री हनुमान उपासना का शुभ मानी जाती है। क्योंकि श्री हनुमान का जन्म भी पूर्णिमा तिथि पर माना गया है। श्री हनुमान को गुरु मान उनके चरित्र का स्मरण सफल जीवन के लिए मार्गदर्शन ही नहीं करता है, बल्कि संकटमोचक भी साबित होता है। सीखें हनुमान के चरित्र से कामयाबी के कुछ खास गुरु मंत्र -
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा हनुमान भक्ति के रची गई हनुमान चालीसा की शुरुआत गुरु स्मरण से ही होती है, जिसमें श्री हनुमान के प्रति भी गुरु भक्ति का भाव छुपा है। ऐसे ही गुरु भाव से हनुमान का स्मरण कर अगली स्लाइड्स में बताए विनम्रता - गुण और शक्ति संपन्न होने पर भी हनुमान अहंकार से मुक्त रहे। सीख है कि किसी भी रूप में अहं को जगह न दें। हमेशा नम्रता और सीखने का भाव मन में कायम रखें।
इसी तरह जानिए 5 और बेजोड़ सूत्र -मान और समर्पण - श्री हनुमान ने हर रिश्तों को मान दिया और उसके प्रति समर्पित रहे, फिर चाहे वह माता हो, वानर राज सुग्रीव या अपने इष्ट भगवान राम । संदेश है कि परिवार और अपने क्षेत्र से जुड़े हर संबंध में मधुरता बनाए रखें। क्योंकि इन रिश्तों के प्रेम, सहयोग और विश्वास से मिली ऊर्जा, उत्साह और दुआओं आपकी सफलता तय कर देती है।कृतज्ञता - जीवन में दंभ रहित या आत्म प्रशंसा का भाव पतन का कारण होती है। श्री हनुमान से कृतज्ञता के भाव सीख जीवन में उतारे। अपनी हर सफलता में परिजनों, इष्टजनों और बड़ों का योगदान न भूलें। जैसे हनुमान ने अपनी तमाम सफलता का कारण श्रीराम को ही बताया। धैर्य और निर्भयता - श्री हनुमान से धैर्य और निडरता का सूत्र जीवन की तमाम मुश्किल हालात में भी मनोबल देता है। जिसके दम पर ही लंका में जाकर हनुमान ने रावण राज के अंत का बिगुल बजाया। विवेक और निर्णय क्षमता - श्री हनुमान ने सीता खोज में समुद्र पार करते वक्त सुरसा, सिंहिका, मेनाक पर्वत जैसी अनेक बाधाओं का सामना किया। किं तु बुद्धि, विवेक और सही निर्णय लेकर बिना प्रलोभन और डावांडोल हुए अपने लक्ष्य की ओर बढें। आप भी जीवन में सही और गलत की पहचान कर अपने मकसद को कभी न छोड़े। तालमेल की क्षमता - श्री हनुमान ने अपने स्वभाव व व्यवहार से हर स्थिति, काल और अवसर से तालमेल बैठाया बल्कि हर युग और काल में सबके प्रिय बने। हनुमान के इस सूत्र से आप भी अपने बोल, व्यवहार और स्वभाव में सेवा, प्रेम और मधुरता घोलकर सभी का भरोसा और प्रेम पाकर सफलता की ऊंचाईयों को पा सकते हैं, ठीक श्री हनुमान की तरह।
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