बिना कसूर दुर्गा से छिनी 'शक्ति' अखिलेश का झूठ सामने आया

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                        नई दिल्ली.  दुर्गा शक्ति नागपाल। 2009 बैच की पंजाब कैडर की आईएएस अफसर। पिछले साल अगस्त में पंजाब से उत्तर प्रदेश कैडर में तबादले के बाद पिछले दिनों वे गौतम बुद्ध नगर में एसडीएम के पद पर तैनात थीं। लेकिन दुर्गा को उत्तर प्रदेश सरकार ने बिना कसूर ही सस्पेंड कर उनकी 'शक्ति' छीन ली।                                 इस मामले में चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि दुर्गा शक्ति नागपाल ने रबूपुरा थाने के तहत आने वाले एक गांव में धार्मिक स्थल की दीवार गिराने का आदेश दिया ही नहीं था। दरअसल, गौतम बुद्ध नगर के डीएम कुमार रविकांत ने शासन को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि दुर्गा शक्ति ने गांव में जाकर लोगों को अवैध निर्माण न करने को लेकर समझाया था। इसके बाद गांव वालों ने खुद ही दीवार को गिरा दिया था। जबकि इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद अखिलेश यादव की सरकार ने सफाई दी थी कि दुर्गा को एक धार्मिक स्थल की दीवार गिरवाने की वजह से गौतम बुद्ध नगर के एसडीएम (सदर) की कुर्सी से हटा दिया था। इस खुलासे के बाद समाजवादी सरकार की पोल खुल गई है। 
                              दुर्गा का निलंबन खत्म करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाना चाहती है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कर्नाटक की दो दिनी यात्रा के बाद मंगलवार को लखनऊ लौट आए। उन्होंने उच्च अधिकारियों से निलंबन प्रकरण से उपजी स्थिति पर पूरी जानकारी ली। इस बीच दुर्गा शक्ति नागपाल को राजस्व परिषद (रेवेन्यू बोर्ड) से अटैच (संबंद्ध) कर दिया गया है।
                           मंगलवार की दोपहर तीन बजे के करीब दुर्गा शक्ति नागपाल राजस्व परिषद पहुंची। उन्होंने राजस्व परिषद के अध्यक्ष जगन मैथ्यूज व सचिव अनिल कुमार से मुलाकात कर संबद्धता के सम्बंध में रिपोर्ट किया। नागपाल लगभग 10 मिनट राजस्व परिषद में रहीं और फिर चली गईं। उनके बैठने के लिए एक कमरा भी तैयार कर दिया गया है।

 अखिलेश का झूठ सामने आया, बिना कसूर दुर्गा से छिनी 'शक्ति'!
                               
                      इस बीच, आईएएस एसोसिएशन ने इस मामले में केंद्र सरकार से दखल देने की अपील की है। कहा जा रहा है कि दुर्गा को निलंबित किए जाने की असली वजह उनकी ईमानदार कार्यशैली है। दुर्गा जिले के खनन माफियाओं पर कहर बनकर टूट रही थीं। उनके आदेश पर दो दर्जन से ज्यादा खनन माफियाओं पर मुकदमे दर्ज किए गए और लाखों रुपये का जुर्माना वसूला गया। बस, काम करने का यही अंदाज माफियाओं को खल गया और पूरी खनन माफिया लॉबी उन्हें चूना लगाने वाली अफसर के खिलाफ लग गई। कहा जा रहा है कि अंत में माफिया दुर्गा शक्ति को सस्पेंड कराने में कामयाब हो गए। 
लेकिन दुर्गा शक्ति नागपाल देश की ऐसी पहली अफसर नहीं हैं जिन्हें महज अपनी ड्यूटी निभाने की वजह से हुक्मरानों के निशाने पर आना पड़ा।
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