भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा ने हैट्रिक लगाई है। एक बार शिवराज सिंह की सरकार का बनना तय है। कांग्रेस चारो खाने चित हो गई। उसके बड़े-बड़े दावे खोखले साबित हुए। जनता ने भाजपा और शिवराज सरकार में अपना विश्वास जताया है। पहले से ही यह आकलन सामने आ रहा था कि मप्र में भाजपा तीसरी बार सरकार बना पाने में सफल रहेगी।
इसके पीछे देश में कांग्रेस के कुशासन और भ्रष्टाचार की मुख्य भूमिका रही है। कांग्रेस का चेहरा घोषित किए गए राहुल गांधी लोगों को प्रभाविक कर पाने में पूरी तरह अक्षम रहे।
देर से जागे :
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस बिल्कुल भी तैयार दिखाई नहीं दी। मप्र की जनता को चुनाव के पहले तक यही समझ में नहीं आया कि कांग्रेस कहीं है भी या नहीं। वहीं, शिवराज सिंह चौहान ने दो साल पहले से ही चुनावी तैयारियां शुरू करते हुए जनता के सामने विकास कार्यों को गिनाना शुरू कर दिया था।
कमजोर संगठन :
जब मोदी चुनावी रैली को संबोधित करने भोपाल पहुंचे थे, तब उनकी रैली में 6-7 लाख लोगों की भीड़ नजर आई थी। मोदी के लिए जुटी इसी भीड़ ने साबित कर दिया था कि भाजपा के पास कार्यकर्ताओं की संगठिन फौज है। वहीं, कांग्रेस का कोई भी नेता इतनी भीड़ नहीं जुटा सका।
कांग्रेस में दो गुट :
बीजेपी का नेतृत्व शिवराज सिंह चौहान के हाथों में था। पार्टी के सभी नेता एकजुट थे और कहीं भी गुटबाजी नजर नहीं आई। वहीं, कांग्रेस में शुरुआत से ही दिग्विजय सिंह बनाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का धड़ा मौजूद था।
शिवराज की साफ-सुथरी छवि :
मप्र में बीजेपी की जीत का पूरा श्रेय शिवराज सिंह चौहान को ही जाता है। उनकी साफ-सुथरी विवादों से परे छवि ने ही उनके कई प्रत्याशियों को जिता दिया। इसके अलावा, शिवराज ने अपने भाषणों में कांग्रेस को नहीं कोसा, बल्कि सिर्फ विकास के मुद्दे ही उठाए। कांग्रेस का पूरा ध्यान सिर्फ मोदी पर ही रहा और वह शिवराज सरकार को किसी भी मामले में घेर नहीं पाई।
जातिगत मामले भी विकास के आगे दब गए:
आमतौर पर पहले चुनावों में जातिगत मामले हावी रहा करते थे। लेकिन इस बार हालात पूरी तरह बदलते नजर आए हैं। महंगाई और विकास के मामलों ने लोगों की सोच बदल दी और इसी का नतीजा रहा कि जनता ने कांग्रेस सरकार को पूरी तरह नकार दिया।
महंगाई का मुद्दा सबसे प्रमुख : पेट्रोल-डीजल और सब्जी की महंगाई ने जनता को कांग्रेस सरकार के बिल्कुल खिलाफ कर दिया।मोदी बनाम राहुल गांधी :
मोदी चुनाव प्रचार के लिए जहां भी गए, वहां की जमीनी स्थिति का पहले ही बारीक मुआयना किया। यही वजह है कि मोदी ने अपने भाषणों में कांग्रेस को जमकर लताड़ा, जबकि कांग्रेस सिर्फ उनके सवालों के जवाब ही ढूंढती नजर आई।
मोदी के भाषणों में जहां देश के मुद्दे थे, वहीं राहुल गांधी अपने भाषणों में परिवार के लिए सिर्फ सहानुभूति बटोरने की कोशिश करते नजर आए।
ज्यादा वोटिंग के लिए मोदी फैक्टर ने काम किया :
इस समय पूरे देश में मोदी की लहर है और मोदी ने विकास के मुद्दे पर युवाओं की नब्ज पकड़ ली है। उन्हें युवाओं का भारी समर्थन प्राप्त है। मोदी की रैलियों में उमड़े युवाओं के सैलाब ने ही बता दिया था कि इस बार वोटिंग का प्रतिशत अधिक रहेगा।
मोदी का असर :
इस बार वोटिंग का प्रतिशत भी अधिक रहा। इसमें युवा फैक्टर हावी रहा। युवाओं की बात करें तो उनकी पहली पसंद बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी ही हैं।
वहीं, कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस मामले में मोदी से बहुत पीछे रह गए। वे संगठन को मजबूत करने के लिए कुछ नहीं कर सके, वहीं उनके भाषणों में भी दम-खम नहीं था।
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