भोपाल. भाजपा की जीत के साथ ही मंत्रिमंडल गठन और विधानसभा अध्यक्ष के चयन को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। नौ मंत्रियों के हारने और कई वरिष्ठ नेताओं के पुत्रों के दूसरी या तीसरी बार जीतने से मुख्यमंत्री व पार्टी के सामने मुश्किल खड़ी होने की संभावना बन रही है।
हालांकि कई पुराने चेहरे नए मंत्रिमंडल में फिर दिखाई दे सकते हैं, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं कह रहे हैं कि इस बार मंत्रिमंडल के गठन में प्रदेश से लेकर दिल्ली तक खासी मशक्कत हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कैबिनेट के चेहरों का असर आने वाले आम चुनावों पर पड़ सकता है। तीन सांसदों के जीत कर आने से उनकी भी मंत्री पद के लिए दावेदारी सामने आ सकती है
ये फिर बन सकते हैं मंत्री
बाबूलाल गौर, गोपाल भार्गव, कैलाश विजयवर्गीय, राजेंद्र शुक्ला, उमाशंकर गुप्ता, जयंत मलैया, अर्चना चिटनिस, नरोत्तम मिश्रा, रंजना बघेल, पारस जैन, सरताज सिंह, नारायणसिंह कुशवाहा, महेंद्र हार्डिया।
दौड़ में ये सांसद भी
सांसद यशोधरा सिंधिया, माया सिंह और भूपेंद्र सिंह भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। पुराने मंत्रियों कुसुम मेहदेले, निर्मला भूरिया रामपाल सिंह, रमाकांत तिवारी और ओमप्रकाश धुर्वे पर पार्टी विचार कर सकती है।
नेता पुत्र, पुत्री और रिश्तेदार
नेता पुत्र, पुत्री और रिश्तेदार
दीपक जोशी, विश्वास सारंग, सुरेंद्र पटवा, राजेंद्र पांडे व ओम प्रकाश सकलेचा।
ये बनाए जा सकते हैं विधानसभा अध्यक्ष
केदारनाथ शुक्ला, कैलाश चावला और गौरीशंकर शेजवार।
नए चेहरों का दावा
मानवेंद्र सिंह, भंवरसिंह शेखावत, नीना वर्मा, लाल सिंह आर्य, शरद जैन, अचल सोनकर व जयभान सिंह पवैया।
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