भोपाल. दतिया के प्रसिद्ध रतनगढ़ माता मंदिर के पास रविवार को हुए भयानक हादसे में स्थानीय पुलिस और प्रशासन की लापरवाही तो सामने आ ही रही है, कई चश्मदीदों ने पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं। आरोप हैं कि पुलिसवालों ने मृतकों की सही संख्या छुपाने के लिए कई शवों को नदी में फेंक दिया। चश्मदीदों का यह भी आरोप है कि पुलिसवालों ने शवों को नदी में फेंकने से पहले उनके गहने और रुपये-पैसे भी निकाल लिए।
एक अंग्रेजी अखबार ने भिंड निवासी 55 साल की गीता मिश्रा के हवाले से लिखा है, 'मैं भगदड़ के दौरान पुल पर ही थी। मैंने पुलिसवालों को दो दर्जन से अधिक लोगों को नदी में फेंकते देखा। उनमें कई तो जिंदा भी थे।' हादसे में बाल-बाल बचे दमोह के आशीष (15) ने बताया कि जब वह अपने पांच साल के भाई का शव लेने गया तो पुलिसवालों ने उसे पुल से धक्का देकर नदी में फेंक दिया। 20 फीट की ऊंचाई से गिरने के बाद आशीस को गंभीर चोटें भी आईं। उसने कहा, 'मैं पुलिसवालों के सामने गिड़गिड़ा रहा था कि वो मेरे भाई की लाश घर ले जाने दें लेकिन उन्होंने मुझे यह कहते हुए धक्का देकर पुल से नीचे गिरा दिया कि मुझे भी मर जाना चाहिए।' कई अन्य चश्मदीदों ने भी ऐसी ही कहानी बयां की है।
हादसे के बाद राजनीति भी तेज हो गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने इस हादसे के लिए राज्य की मौजूदा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। सीएम ने दतिया अस्पताल का दौरा किया जहां हादसे में घायल हुए लोग भर्ती हैं। लेकिन, वहां पहूंचने पर सीएम को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। घटना में अपनों को खो देने से नाराज लोगों ने सीएम के खिलाफ प्रदर्शन किया। हालांकि, शिवराज सिंह ने भरोसा दिया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता घायलों को बेहतर इलाज मुहैया कराना है। इस मसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
बसई घाट पर सिंध नदी का पुल टूटने की अफवाह और फिर पुलिस लाठीचार्ज से मची भगदड़ में 200 से अधिक लोगों की मौत की आशंका है। हालांकि चंबल रेंज के डीआईजी डी के आर्य ने बताया कि अभी तक 139 लोगों के मारे जाने की सूचना मिली है। आर्य ने आशंका जताई है कि मृतकों की तादाद बढ़ सकती है। उन्होंने साथ ही बताया कि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि 2006 की घटना के बाद भी शासन ने सबक नहीं लिया। वहां बना नया पुल भी कमजोर हो गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस ने दो सौ रुपये की घूस लेकर गाड़ियों को मंदिर मेला क्षेत्र के नो एंट्री जोन में जाने की इज़ाजत दी। दिग्विजय ने कहा, 'बीजेपी सरकार के शासनकाल में पुलिस और प्रशासन के सभी अधिकारियों की नियुक्तियां पैसे लेकर की जाती हैं, ऐसे में पुलिसकर्मी रिश्वत लेंगे ही।'
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि शिवराज सिंह को तुरंत सीएम पद से इस्तीफा देना चाहिए।
इन आरोपों पर बीजेपी नेता कीर्ति आजाद ने दिग्विजय पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह हादसे को लेकर ओछी राजनीति कर रहे हैं। बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि दोषारोपण करना कांग्रेसी नेताओं की आदत रही है।
सीपीआई नेता डी राजा ने कहा है कि अगर राज्य सरकार ने पहले के हादसों से सबक लिया होता तो यह घटना नहीं होती। जद(यू) नेता के सी त्यागी ने कहा कि इस हादसे के बाद शिवराज सिंह को सीएम की कुर्सी पर एक मिनट भी रहने का हक नहीं है।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा है कि दतिया में हालात सामान्य हैं। लापता लोगों की तलाश के लिए अभियान जारी है। उन्होंने कहा कि घटना की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही जवाबदेही तय की जाएगी।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने हादसे पर दुख जताया है और मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट की है। राष्ट्रपति ने सभी संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे तकलीफ से जूझ रहे सभी परिवारों को हर संभव मदद पहुंचाने और घायलों को उचित चिकित्सा मुहैया कराएं। प्रधानमंत्री ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए कहा कि त्योहार के दिन हमारे मन और प्रार्थनाएं पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैंप्रदेश के मुख्य सचिव एंटोनी जेसी डिसा ने कहा कि रतनगढ़ हादसे के लिए दोषी अफसरों पर जांच के बाद सख्त कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजन को डेढ़-डेढ़ लाख, गंभीर घायलों को 50 हजार और मामूली रूप से घायलों को 25 हजार रुपए की मदद की घोषणा की है। वर्ष 2006 में भी यहां हादसा हुआ था। इसमें 57 लोगों की मौत हुई थी। । सवा लाख श्रद्धालुओं की उमड़ी थी भीड़
1. रतनगढ़ माता मंदिर पर नवमी के दिन करीब सवा लाख श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, लेकिन पुलिस व प्रशासन के इंतजाम नाकाफी थे। घटना के समय मौके पर महज आधा दर्जन पुलिसकर्मी ही मौजूद थे। नतीजतन बदइंतजामी के मेले में मौत का कोहराम मच गया।
2. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए हर साल बसई पुल पर वाहनों को रोका जाता था। लेकिन पुलिस ने पैसे लेकर वाहनों को पुल तक आने दिया। मंदिर से ठीक पहले सिंध पुल पर भी वाहनों को नहीं रोका गया।
3. रविवार सुबह आठ बजे तक पांच किमी लंबा ट्रैफिक जाम हो गया। इसी कारण श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई। सुबह सिंध पुल पर वाहन ही वाहन फंस गए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हालात काबू नहीं हुए तब पुलिस ने पुल पर वाहन आड़े लगा दिए और वाहनों को रोकने के लिए पुल टूटने की आवाज लगा दी। इसके बाद भीड़ दूसरी तरफ के लिए पलटी। इसी बीच पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।
Post A Comment: